Friday 27 March 2015

कल चमन था आज वीरान हो गया देखते-देखते ये क्या हो गया |

कहते हैं बदलाव प्रकृति का नियम है और बदलाव अच्छे के लिए होता है | पिछले अर्ध शतक में हुए बदलावों का द्रष्टा रहा हूँ | अब ये बदलाव कितना सच्चा कितना भद्दा इसका आंकलन तो आप ही कर सकते हैं | गर्मी के शुरू होते ही गर्मी की छुटियों का सिलसिला शुरू हो जाता था | बहन भाइयों के बच्चे ऐसे आकर गले में लटक जाते थे जैसे बेल पर अंगूर | नानी के चारों और ऐसे मंडराते थे जैसे तितलियों में फूल पर पहुंचने की होड़ लगी हो | नानी दादी के पास सोने की जिद | बच्चों का चूमना चाटना लिपटने का सिलसिला अविरल चलता रहता था | बदले में बच्चों को मिलती थी एक कहानी और बच्चे आगे सुनाओ कहते – कहते सो जाते | छुटियाँ खत्म होने को होती तो मन मायूस रहने लगता | बहने कई दिन पहले जल्दी फिर आने का दिलासा देने लगती | भाई भतीजों का विदाई की रात को चादर ओड़ कर रोना और दिन में दरवाजों के पीछे रोना खत्म ही नही होता था | लगता था ममता का सेतु टूट गया हो | बदलाव के नाम पर बच्चे अब सिंगापूर, नानी मामे दादी चाचे से कोसों दूर विदेश जाने लगे हैं | जो बहन कहा करती थी छुटियों में तो हम जरुर आयेंगे चाहे बुलाओ या न बुलाओ बरसों खबर भी नही लेती | जिन पर नाज होता था आज वो अनजान हो गये | बस लिखते–लिखते याद आ गया वक्त फिल्म का यह गाना कल चमन था आज वीरान हो गया देखते-देखते ये क्या हो गया |
बच्चों का गलियों में खेलना शोर मचाना, शाम को छतों पर पतंगो की बोकाटा एक मेले की तरह लगता था लेकिन अब सब सुनसान जैसे उस चहकते बचपन को सांप डस गया हो |    पहले सौ रूपये जेब में हों तो आश्वस्त रहते थे की खत्म नही होंगे बच्चों की मांग पूरा करने के लिए और अब हजारों के नोट रखने के बाद क्रडिट कार्ड रखना पड़ता है | क्रमशः ------
आर एम मित्तल

मोहाली 

Monday 16 March 2015


गौ माँ का ज्ञान पत्रिका (माता-पिता गौधाम बनूड़ ) में प्रकाशित हुआ 
गौ - सेवा की महिमा
                                                                                          आर एम मित्तल 
                                                                                                          रिटायर्ड चीफ मैनेजर
                                                                                                          पंजाब नैशनल बैंक                                  

धर्म ग्रंथों में लिखा है की गौओं के शरीर को खुजलाने से या उनके शरीर के कीटाणुओं को दूर करने से मनुष्य अपने समस्त पापों को धो डालता है। गौओं को गोग्रास दान करने से महान पुण्यों की प्राप्ति हो ती है। गौओं को चराकर उन्हें जलाशय तक घुमाकर जल पिलाने से मनुष्य अन्नत वर्षों तक स्वर्ग में निवास करता है।
गौओं के प्रचारण के लिए गोचरभूमि की व्यवस्था कर मनुष्य निःसंदेह अश्वमेघ यज्ञ का पहल प्राप्त करता है। गौओं के लिए गोशाला का निर्माण कर मनुष्य पूरे नगर का स्वामी बन जाता है और उन्हें नमक खिलाने से मनुष्य को महान सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
गौसेवा की महिमा
गौओं को भय से मुक्त कर देने पर मनुष्य स्वयं भी भय से मुक्त हो जाता है। कसाई के हाथ से गौ को खरीद लेने पर गोमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
गौओं की सर्दी तथा धुप से रक्षा करने पर स्वर्ग की प्राप्ति होती है। गौओं के उठने पर उठ जाएं और बैठने पर बैठ जाएं। गौओं के भोजन कर लेने पर भोजन करें और जल पी लेने पर स्वयं भी जल पिएँ। एक माह तक ऐसा करने वाले गोव्रती के सम्पूर्ण पाप सर्वथा नष्ट हो जाते हैं।
अपने सामर्थ्य अनुसार तीन या सात दिन तक जौ आदि से गौओं के भोजन आदि की व्यवस्था करने से मनुष्य सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है और उसे महान पुण्य की प्राप्ति होती है।
गाय के खुर से उतपन्न धूलि समस्त पापों को नष्ट करने वाली मंगलकारिणी,पवित्र करने वाली और दुःख दरिद्रता को नष्ट करने वाली है। गौओं को स्पर्श करना बड़ा पुण्यदायक है और उससे समस्त दुःस्वप्न पाप आदि नष्ट हो जाते हैं।
गाय के गोमय से उपलिप्त स्थान सब प्रकार से पवित्र स्थान कहा गया है। इसलिए यज्ञशाला और भोजन बनाने के स्थान को गोमय से लीपना चाहिए।
यज्ञ को भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है और वह सर्वागत्या गौओं में ही प्रतिष्ठित है इसलिए गौओं को भी प्राचीन आचार्यों ने विष्णु का स्वरूप ही मन है। गौएँ पूजनीय,कीर्तनीय और नमस्करणीय हैं। उन्हें सदा भोजन देना चाहिए और उनकी सेवा करनी चाहिए। गायों की सेवा से मनुष्य निर्मल और दुःख तथा शोकरहित श्रेष्ठ लोकों को प्राप्त करता है। इसलिए धर्मपरायण मनुष्यों को प्रयत्नपूर्वक गायों की सेवा अवश्य करनी चाहिए
आर एम मित्तल

Saturday 14 March 2015

भूख

भूख


बाहर गली से एक आवाज आई - 
''माई'' कुछ खाने को मिलेगा ?
बूढी माई ने ''रसोई घर'' से रात की बची ''बासी रोटीयां'' उठाई
और भिखारी को देने के लिए ''हाथ'' बाहर निकाला ही था, कि
पता नहीं क्यों, अचानक ''माई'' ने हाथ रोक लिया और उससे
पूछा :- भाई तुम कौन हो ! हिन्दू हो या मुसलमान ?
हसरत भरी नज़रों से 'रोटी' की और देख कर वो आदमी बोला 
माई मैं ''भूखा'' हूँ ! 
किसी ने सच कहा है, भूख का कोई धर्म नहीं होता
राधे - राधे

कोयले की दलाली में मुंह काला


कोयले की दलाली में मुंह काला
मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री काल में कोयला खदानों के आबंटन में हुई बंदरबांट जग जाहिर है।भरष्टाचार निरोधक कानून के तहत पूर्व प्रधानमंत्री को आरोपी बनाया गया है। कोयला घोटाला प्रधानमंत्री की नाक के निचे हुआ और वे भरषटों को रोकने में विफल रहे। अब सोनिया गांधी को मनमोहन सिंह जी से सहानुभूति रखते हुए अनिमयताओ के लिए जिम्मेवारी लेनी चाहिए। 
आर एम मित्तल

ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा


अमर उजाला दिनांक 13 मार्च 2015 प्रवाह पृष्ठ पर प्रकाशित हुआ 
ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा 
माँ बाप को ही दे दिया पलट जबाब !
तो फिर व्यर्थ है पढ़ना चार किताब !!
आजकल माँ बाप बुजुर्गों को अपनों के ही दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। आज की शिक्षा में बड़ों का आदर को कोई स्थान नही है। एक सर्वे के मुताबिक 61% बहुएं और 59 % बेटे अपने माता पिता एवं घर के बुजुर्गों से दुर्व्यवहार करते हैं जो हमारे समाज की निकृष्ट मानसिकता को दर्शाता है। ऐसी मानसिकता समाज घर परिवार को रसातल में पहुंचा देगी। 
आर एम मित्तल

Sunday 8 March 2015

केवल महिला को बधाई कैसी ?

केवल महिला को बधाई कैसी ?
माँ है वो, बेटी है वो, बहन है वो तो कभी पत्नी है वो,
नमन है उन सब नारियों को जीवन के हर मोड़ पे साथ देती हैं।
पिता है वो,बेटा है वो,भाई है वो तो कभी पति है वो,
नमन है उन सब पुरुषों को जीवन के हर मोड़ पे साथ देते हैं। 
केवल महिला को बधाई कैसी ?
आर एम मित्तल

मोहाली 

Thursday 5 March 2015

सत्ता का लोभ

योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को आप राष्ट्रीय कार्यकारिणी से सत्ता में आने के बाद बाहर करना आप पार्टी के लिए घातक बनेगा। केजरीवाल योगेन्द्र और प्रशांत को साथ लेकर चलना चाहिए था। केजरीवाल को आम आदमी की राय लेनी चाहिए थी। केजरीवाल का सेहत ठीक ना होते हुए भी दो पद रखना सत्ता का लोभ। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केजरीवाल को उपस्तिथ होना चाहिए था। केजरीवाल को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लिए फसले को रद्द कर देना चाहिए। 
आर एम मित्तल
मोहाली